18 हजार वित्त विहीन विद्यालयों में बंधुवा मजदूर की तरह काम करते है शिक्षक राधामोहन पाण्डे

सालू खान

18 हजार वित्त विहीन विद्यालयों में बंधुआ मज़दूर की तरह काम करते हैं शिक्षक : राधामोहन पांडेय


माध्यमिक शिक्षक संघ ने की अंशकालिक शिक्षकों को पूर्णकालिक घोषित करने की मांग

सालू खान

गोण्डा। यूपी में माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा मान्यता प्राप्त करीब 18 हजार ऐसे स्ववित्त पोषित ( वित्त विहीन ) विद्यालय हैं, जिनमें कार्यरत शिक्षकों को मात्र अंशकालिक शिक्षक कहा जाता है, जबकि हकीकत में ये पूर्णकालिक रूप से कार्य करते हैं।इन शिक्षकों की कोई सेवा दिशाएं निर्धारित नहीं हैं और वेतन भी सेवायोजक की इच्छा पर ही निर्भर है। ऐसे में ये शिक्षक बंधुआ मजदूर की तरह मालिक के मनचाहे वेतन पर कार्य करने को बाध्य हैं। ये बातें उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के जिला मंत्री राधामोहन पाण्डेय उर्फ पप्पू पाण्डेय ने कही।
  

    जिला मुख्यालय पर आयोजित उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ की बैठक को सम्बोधित करते हुए श्री पाण्डेय ने कहा कि अंशकालिक शिक्षकों को विधिक व्यवस्था द्वारा पूर्ण कालिक घोषित करके ‘समान कार्य के लिए समान वेतन’ के सिद्धांत पर आधारित वेतन का भुगतान सुनिश्चित कराया जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के शिक्षा कार्यालयों में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। शिक्षकों की नियुक्ति सम्बन्धी प्रक्रिया हो अथवा उन्हें प्रतिमाह वेतन भुगतान की विधिक व्यवस्था के अन्तर्गत वेतन भुगतान हो, कोई भी कार्य भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं है। 
      

     श्री पाण्डेय ने कहा कि कार्यरत शिक्षकों को सेवाकाल पर आधारित चयन वेतनमान एवं प्रोन्नत वेतनमान की प्राप्ति भी जनपदीय और मंडलीय शिक्षा कार्यालयों की कृपा पर ही निर्भर है, जो भारी भरकम वसूली की उनसे आशा करते हैं। इस व्यवस्था को भ्रष्टाचार मुक्त किया जाना नितांत आवश्यक है। इसी प्रकार निदेशालय स्तर पर भी शिक्षकों के अनेक प्रकार के देयक विगत कई वर्षों से लम्बित पड़े हैं, जो कुल मिलाकर करोड़ों रुपए हो चुके हैं। यहां भी बगैर ‘पूजा’ चढ़ाए अवशेषों का भुगतान नहीं किया जाता है। इस व्यवस्था को भी भ्रष्टाचार मुक्त करना सुनिश्चित किया जाय।
     जिलाध्यक्ष अजीत सिंह ने कहा कि प्रदेश भर में शिक्षक समुदाय पेंशन बहाली की मांग कर रहा है। नवीन पेंशन योजना पूर्णतयः आकर्षण विहीन है।यह जहां प्रभावी है, वहां शिक्षकों एवं कर्मचारियों के वेतन से जो कटौती होती है तथा उसके साथ जो राजकीय अंश सम्मिलित किया जाता है, वह कुल धनराशि कहां और किस खाते में जमा की जाती है ? इसकी जानकारी सम्बंधित शिक्षक और कर्मचारी को नहीं हो पाती है। तमाम विसंगतियों को ध्यान में रखते हुए यह मांग की जाती है कि पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल किया जाए।
       माध्यमिक शिक्षक संघ के नेताओं ने महिला शिक्षकों के अनुमन्य अवकाश के साथ ही व्यवसायिक एवं कम्प्यूटर शिक्षक, नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने की भी मांग की है। मुख्यमंत्री को सम्बोधित अपनी समस्याओं से
सम्बंधित आठ सूत्रीय ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा गया। इस मौके पर गोकरन तिवारी, लवकुश मिश्र, अनुपम पांडेय, डा.गौरव श्रीवास्तव, सुरेश कुमार, जीतेंद्र सोनी, दिनेश कुमार त्रिपाठी, राजन पाण्डेय, विजय शंकर मिश्र, भानू प्रताप सिंह, मनमोहन सिंह, परशुराम तिवारी, धर्मवीर सिंह, सहदेव सिंह, राजकरन वर्मा आदि मौजूद रहे

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