गोण्डा उत्तर प्रदेश जिलेभर में खुलेआम धधक रही है कच्ची शराब की भट्ठियां मुल दर्शक बना प्रशासन

जिलेभर में खुलेआम धधक रहीं कच्ची शराब की भटठियां, मूकदर्शक बना प्रशासन




इलाकाई पुलिस और आबकारी विभाग की मिलीभगत से फलफूल रहा गोरखधंधा

 सालू खान
गोण्डा। जिले के गांवों में बड़े पैमाने पर बनाई जा रही कच्ची शराब के व्यवसाय ने किसी को विधवा बना दिया, तो किसी को विधुर ! सैकड़ों बच्चे अनाथ हो गये, लेकिन इसके बावजूद यह काला कारोबार बदस्तूर जारी है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि जहरीली शराब के इस जानलेवा धंधे को थानों की हल्का पुलिस और आबकारी विभाग का संरक्षण मिला हुआ है। यही वजह है कि कुटीर उद्योग का रूप ले चुके इस अवैध व्यवसाय पर नकेल नहीं लग पा रही है।


गोण्डा जिले की चाहे नगर कोतवाली क्षेत्र हो या कोतवाली देहात का इलाका, सभी जगहों पर खुलेआम कच्ची जहरीली शराब की भट्ठियां धधक रही हैं। देहात के खोरहंसा चौकी क्षेत्र का काजी तरहर गांव महुआ की दारू के लिए जिलेभर में मशहूर है। इसी तरह वज़ीरगंज थाना क्षेत्र की डुमरियाडीह पुलिस चौकी का इलाका भी कच्ची शराब के लिए कुख्यात है। यहां चौकी पुलिस से साठगांठ करके इस धंधे को परवान चढ़ाया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार पुलिस चौकी के पास स्थित खटिकन पुरवा में 50 घरों में 600 की आबादी है, जहाँ कच्ची शराब का कारोबार खूब फल फूल रहा है। इस गांव के हर घर में कच्ची शराब बन रही है। ज्यादातर परिवार शराब के धंधे से जुड़े हैं। बीते 7 – 8 वर्षों के दौरान पूरे गांव में लगभग आधा सैकड़ा परिवार ऐसे हैं, जिनके परिवार का कोई न कोई सदस्य शराब की भेंट चढ़ चुका है। बहुत से परिवारों में तो यह संख्या दो से तीन तक बतायी जाती है। गांव की 35 साल की विधवा मुनक्का देवी के पति राम प्रताप को शराब ने छीन लिया, तो बच्चों को पालने की जिम्मेदारी उस पर आ पड़ी। वहीं 30 वर्षीय मजदूर सोनू की शराब की लत उसके जिंदगी की डोर टूटने के बाद ही छूटी। तीन बेटियों की परवरिश की पूरी जिम्मेदारी उस पर आ गई है। 27 साल के रामरूप के परिवार की कहानी और भी दर्दनाक है।  लगातार शराब पीने से रामरूप की तीन साल पहले मौत हो गई। तीन बच्चों को पाल रही उसकी विधवा पदमा देवी दिनभर हाड़तोड़ मेहनत करती है, फिर भी दो जून की रोटी नहीं मिल पाती। 35 वर्षीय सुंदर की भी जहरीली शराब पीने से मौत हो गई। विधवा पानावती अब सास और पांच बच्चों को अपने दम पर पाल रही है।
      

       सूत्रों के मुताबिक बीते एक दशक में इस गांव के राम प्रताप, सोनू , रामदास, जगराम, जदी, सोहरत, लल्लन, राम जियावन, बाबू , श्याम लाल, राम रूप,  सुंदर, गोविंद, ओम प्रकाश, सहदेव, बिरजू, जोखू,  बृजलाल, बेचू आदि कच्ची शराब की भेंट चढ़ चुके हैं। असमय ही काल के गाल में समा चुके इनकी विधवाओं के सामने दो वक़्त की रोटी का संकट होने के साथ ही, बच्चों का पालन- पोषण भी विकराल समस्या है। इस गांव के कच्ची शराब के व्यवसाय में लगे परिवारों का इतनी मौतें होने के बाद भी मोह भंग नहीं हो रहा है। यहां शराब बनाने का धंधा एक की मौत के बाद परिवार का दूसरा सदस्य संभाल लेता है। मसलन, पति की मौत के बाद पत्नी या परिवार का अन्य सदस्य उसे संभाल लेता है, जो बदस्तूर जारी है।
    

नेपाल तक जाती है ललकी पुरवा की दारू !

मोतीगंज थाना क्षेत्र का ललकी पुरवा गांव भी अवैध कच्ची शराब बनाने और बेचने के लिए कुख्यात है। इस गांव की बनी जहरीली शराब पड़ोसी जिलों के साथ ही मित्र राष्ट्र नेपाल में भी बड़ी मात्रा में खपत की जाती है। बताया जाता है कि ललकी पुरवा गांव में हल्का सिपाही राम शब्द यादव व दरोगा अशोक कुमार पाल की मिलीभगत से कच्ची शराब का धंधा फलफूल रहा है। इस व्यवसाय में थोड़ी मेहनत से अच्छी कमाई हो जाती है। वहीं पुलिस की भी मूक सहमति रहती है, तो आबकारी विभाग के लोग भी सब कुछ जानकर अंजान बने रहते हैं। फलतः यहां के लोग मोटी कमाई के साथ मौत का भी धंधा करते हैं। इस पर कभी रोक भी लगेगी, इसमें संदेह है।

पूरे प्रदेश में कच्ची के खिलाफ चलाया जाएगा विशेष अभियान : डीजीपी

सूबे के पुलिस महानिदेशक ( डीजीपी ) सुलखान सिंह ने बताया कि कच्ची शराब के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चलाने की कार्ययोजना तैयार की जा रही है। शीघ्र ही पूरे प्रदेश में विशेष अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान के दौरान उन पुलिस कर्मियों को भी चिन्हित किया जाएगा, जो इस अवैध कारोबार को करने वाले समाज विरोधी तत्वों से साठगांठ रखते हैं। उन्होंने बताया कि इससे सम्बंधित सर्कुलर शीघ्र ही जारी किया जाएगा। इसमें लापरवाही किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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