
जब हमारे देश में नोटबंदी लागू की गई थी तब एक नारा सोशल मीडिया पर बहुत शेयर किया जा रहा था और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर कहा जा रहा था कि, ‘ना खाऊंगा और न खाने दूंगा’ लेकिन मोदी सरकार के कार्यकाल में एक बहुत बड़ा घोटाला सामने आया है। यह एक ऐसा घोटाला है जिसे सुनकर आपको एक तरफ तो हंसी भी आएगी और एक तरफ गुस्सा भी आएगा कि, किस तरह से सरकार घोटालेबाजी करने में लगी हुई है। दरअसल यह महाघोटाला भारतीय रेल के सेंट्रल रेलवे केटरिंग डिपार्टमेंट को लेकर सामने आई है। भारतीय रेल सेंट्रल रेलवे केटरिंग डिपार्टमेंट ने बहुत ही गज़ब की खरीददारी की है।
भारतीय रेलवे केटरिंग विभाग ने सौ ग्राम दही की कीमत 972 रूपये चुकाई है और 1241 रूपये प्रति लीटर की दर से तेल खरीदा है। यह बात तब सामने आई जब आरटीआई के अजय बोस ने आरटीआई दाखिल कर यह जानकारी प्राप्त की। इस रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे कैटरिंग विभाग ने जितनी चीज़ों पर एमआरपी लिखी हुई है उससे कई गुना ज्यादा कि दर पर सामान खरीदे हैं। इस महाघोटाले की पूरी जानकारी इंग्लिश न्यूज़ पेपर ‘द हिन्दू’ में पूरे विस्तार से इसका वर्णन किया गया है।
अजय बोस ने ‘द हिन्दू’ को जानकारी देते हुए बताया कि, ‘उन्होंने जुलाई 2016 में आरटीआई के तहत सूचना मांगी थी, लेकिन सेंट्रल रेलवे ने उन्हें जो जवाब दिया, उस बात से ही यह समझ में आ गया था कि, कुछ न कुछ जरुर छिपाने की कोशिश की जा रही है। उसके बाद अजय बोस ने पहली याचिका दायर की। अपीलेट अथॉरिटी ने रेलवे को 15 दिन के अंदर वांछित जानकारी देने का आदेश दिया। जब शक और ज्यादा बढ़ गया तो अजय बोस ने दोबारा अपील की, तब जाकर उन्हें पूरे जानकारी मिली।’ अजय बोस को मिली सूचना के अनुसार, भारतीय सेंट्रल रेलवे कैटरिंग विभाग ने सौ ग्राम अमूल दही 972 रूपये में खरीदा था।
भारतीय रेलवे ने अपनी सफाई में यह ट्वीट कर जानकारी दी है
जबकि, उसकी असल कीमत सिर्फ 25 रूपये ही थी। अजय बोस ने बताया कि, उन्हें सूचना मिली थी कि, भारतीय रेलवे कैटरिंग विभाग घाटे में चल रहा है। तब उन्होंने आरटीआई के तहत ये सूचनाएं मांगी थी। अजय बोस ने बताया कि, ‘इसके अलावा भी भारतीय केटरिंग रेल विभाग ने और भी कई सामान, चिकन, मूंग दाल, तूर दाल, बेसन और टिश्यू पेपर भी एमआरपी से कई ज्यादा अधिक दामों पर खरीदा गया था। इसमें 650 किलो चिकन 233 रूपये प्रति किलो (1,51,586), 570 किलो तूर दाल 157 रूपये प्रति किलो (89,610) 178 पानी की बोतल 59 रूपये प्रति बोतल (1,0,6031) 148.5 किलो मूंग दाल 157 रूपये प्रति किलो(89,610)। इसके अलावा आलू, प्याज और समोसे सही दर पर खरीदे गए थे।’
इस महाघोटाले से अंदाज़ से लगाया जा सकता है कि, आखिर रेलवे विभाग मोदी सरकार के कार्यकाल में क्यों घाटे में चल रहा था। इस महाघोटाले को लेकर मोदी सरकार को जवाब तो जरुर देना ही चाहिए। क्योंकि मोदी जी ने ही कहा था कि, वह किसी भी भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेंगे और किसी भी भ्रष्ट नेता को नहीं छोड़ेंगे। भारतीय रेलवे के डिविजनल मेनेजर रवीन्द्र गोयल ने बताया कि, ‘जरुर यह टाइपिंग एरर होगा, लेकिन फिर भी मैं इस मामले को देखूंगा।
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