सपा ने बड़े अन्तर से जीता गाजीपुर का उपचुनाव बीजेपी को मिली कड़ी हार

सालू खान

सपा ने बड़े अंतर से जीता गाजीपुर उपचुनाव, बीजेपी की बड़ी हार, मिले महज नौ वोट

गाजीपुर के जिलापंचायत उपचुनाव में सपा की आशा देवी ने 58 वोट पाकर बीजेपी को हराया।

गाजीपुर. भारतीय जनता पार्टी को यूपी के पूर्वांचल में कई जिला पंचायत सीटों पर हुए उपचुनाव में बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा है। गाजीपुर में हुए उपचुनाव में तो बीजेपी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। यहां सपा की उम्मीदवार ने भाजपा समर्थित उम्मीदवार को बड़े अंतर से हरा दिया। जहां भाजपा समर्थित प्रत्याशी को केवल नौ वोट ही मिले वहीं सपा की आशा देवी ने 58 वोट पाकर जीत हासिल की। इस जीत से समाजवादी पार्टी में जहां खुशी की लहर है वहीं बीजेपी के खेमे में मायूसी है। रेल राजयमंत्री मनोज सिन्हा गाजीपुर से ही सांसद हैं ऐसे में इस जीत को लेकर बीजेपी की कमजोर रणनीति पर भी सवाल उठ रहे हैं

गाजीपुर में भारतीय जनता पार्टी ने यूपी चुनाव में पहले से अच्छा प्रदर्शन किया तो इसे बीजेपी की सधी हुई रणनीति कहा गया। इसके बाद से लगातार बीजेपी गाजीपुर में मजबूती के लिये कवायद कर रही थी। ऐसा माना जा रहा था कि बीजेपी जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर भी कब्जा कर लेगी। उपचुनाव की स्थिति बनने पर तो इसे तकरीबन तय ही माना जा रहा था।

पर समाजवादी पार्टी ने शायद अपनी सधी हुई रणनीति से काम किया। विपक्ष का भी उसे साथ मिला। जीत के लिये पूर्व मंत्री ओम प्रकाश सिंह ने भी आखिरी समय में कमान संभाल ली। बड़े नेताओं ने अपना पूरा जोर लगा दिया और आखिर में समाजवादी पार्टी उपचुनाव में बड़े अंतर से जीती

उपचुनाव में बीजेपी केवल गाजीपुर में ही नहीं हारी, बीजेपी समर्थित उम्मीदवार को भी हार का सामना करना पड़ा। वहां मुकाबला एकतरफा हो गया। कौशाम्बी जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिये बीजेपी की समर्थित प्रत्याशी मधुपति मैदान में थीं तो उन्हें हराने के लिये पूरा विपक्ष एकजुट हो गया और अनामिका को समर्थन कर दिया। इसके बद तो बीजेपी की सारी रणनीति धरी की धरी रह गयी

उपचुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार अनामिका सिंह को 20 वोट मिले जबकि मधुपति को महज आठ वोटों से संतोष करना पड़ा। एक वोट अवैध घोषित कर दिया गया। अनामिका सिंह ने इस जीत का क्रेडिट पूर्व सांसद शैलेन्द्र कुमार को भी दिया है। बताते चलें कि कौशाम्बी में जिला पंचायत के कुल 29 सदस्य हैं। अध्यक्ष की कुर्सी के लिये 15 वोटों की जरूरत थी। यहां यह भी बताना जरूरी है कि पहले मधुपति ही समाजवादी पार्टी की ओर से जिला पंचायत अध्यक्ष थीं। पर विधानसभा चुनाव मे बीजेपी की बड़ी जीत के बद जब उनकी कुर्सी डगमगायी तो उनका झुकाव सपा के बदले बीजेपी की ओर हो गया।

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