गोण्डा जिला के कुदुरुखी बजाज मिल में किसानों के साथ किया जा रहा है दुर्व्यवहार

सालू खान की कलम
गोंडा जिला के कुंदुरूखी बजाज हिंदुस्तान मिल में किसानों के साथ किया जा रहा है दुर्व्यवहार। किसानों के ऊपर किया जा रहा है पुलिस बल का प्रयोग। कुदुरुखी बजाज मिल में किसानों के साथ दे रहे हैं धमकियां जिसमें मिल के अधिकारियों ने यहां तक भी कह डाला कि मीडिया वह पत्रकारों से हमें कोई डर नहीं है और हम अपने हिसाब से ही काम करेंगे जिसमें मिल अधिकारियों ने किसानों से एक कोरे कागज पर यह भी एप्लीकेशन तैयार करवा लीजिए कि आप लोग गन्ना बेच रहे हैं लेकिन आप इस पर यह भी लिख दे कि हम अपना गन्ना बेच रहे हैं लेकिन इस गन्ने की जो राशि है यह हमें नहीं चाहिए और इसी बात को लेकर किसानों और बजाज मिल कुदुरुखी अधिकारियों के साथ नोकझोंक हुई जिसमें मिल के अधिकारियों ने पुलिस बल का भी प्रयोग करवाया जब किसानों को उग्र देखकर मिल के अधिकारियों ने पुलिस बल व मिल के अधिकारियों ने किसानों के साथ दुर्व्यवहार करते हुए उनसे कई अभद्र-अभद्र बातें करते हुए उनसे कहा कि आपका यह गन्ना सूखा है इसलिए यह गन्ना हम नहीं लेंगे और यह सुनकर किसानों ने अपना प्रदर्शन जब दिखाया तो मिल के अधिकारियों ने डायल 100 को फोन किया और उनका प्रदर्शन हटवाने के लिए डायल 100 के अधिकारियों ने उनके ऊपर अपने बल का प्रयोग किया। कुछ किसानों का यह भी कहना था कि मिलकर अधिकारी अपने मर्जी से बाहर का गन्ना टोकन पर मंगा लेते हैं और उनसे कुछ रुपए लेकर उनका गन्ना टोकन पर ही ले लेते हैं और किसानों का यह भी कहना था कि हम क्षेत्रीय किसानों को पर्ची ही नहीं मिल पाती है जिससे कि हम समय से अपनी खेती कर सके। किसानों का यह भी कहना था कि मिल के अधिकारी हम लोगों से कहते हैं कि आपका गन्ना रिजेक्ट हो तो उसे हम जर्नल या सामान्य पर्ची बना देंगे। किसान यह भी कह रहे थे कि परिचित माननीय जर्नल करवाने का दाम 500 से स्टार्ट था और वह पर्ची सामान्य कर देते हैं जिसमें किसान कह रहे थे कि यह जो पैसा लेते हैं इस पैसे मैं सो रुपए कर्मचारियों को दिया जाता है और 400 मिल के अधिकारी लेते हैं। किसान यह भी कह रहे थे कि यह लोग अपनी मनमानी करते हैं ओवर लोडिंग और कई अन्य चीज अपने मन से ही लागू कर देते हैं जिससे किसानों को हमेशा जान की बाजी लगाकर किसी तरह वह अपना गन्ना लेकर मील तक पहुंचते हैं जिसमें किसान बहुत ज्यादा परेशान होते हैं। किसान यह भी कह रहे थे कि यह अपने ही नेम से काम करते हैं जिससे हम लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। गन्ना किसी तरह यहां पहुंचाते हैं, जब यहां हम लोग गन्ना लेकर पहुंचते हैं तो हमें बताया जाता है कि यह गन्ना तो सूखा है इसलिए यह गन्ना हम नहीं लेंगे। जिसमें कुछ किसानों ने अपने ट्रालियों से गन्ना निकाल कर वहीं टेस्ट करने लगे उन गन्ना में से रस की मात्रा गन्ना निचोड़ने पर दिखने लगी और किसानों ने जब चक्का जाम कर दिया तब उनको मिल के अधिकारियों ने किसी तरह समझा-बुझाकर उनका गन्ना लिया और उनसे यह भी कहा कि यह गन्ना किसी के धमकाने या डराने से नहीं ले रहे हैं। तब किसानों ने मिलकर अधिकारियों के साथ सवाल करते हुए कहा कि यदि आप लोग गन्ने की कॉल डेढ़ सौ क्विंटल से कम कर कर 130 क्विंटल कर दे जिससे हम लोगों की जान भी बची रहे और हम सही समय पर अपने खेत की बुआई व मेल पर भी समय से पहुंच जाएं। जिससे हमारा गन्ना सूखे भी ना और हम सही समय पर अपने घर को लौट जाए। यह सब बात हो जाने के बाद नील अधिकारियों ने तब उनका गन्ना लिया जिसमें कुछ किसानों का यह भी कहना था कि उनका पिछले साल का भी मिल पैसा नहीं दे रही है और योगी सरकार से गुहार लगाते हुए किसानों ने कहा कि हमारा पैसा हमें दिलवा दीजिए।

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