डियम की मनमानी कर तीन को विद्यायल की कैबिनेट से निकाला बाहर

डीएम ने मनमानी कर तीन को विद्यालय की कैबिनेट से निकाला बाहर
-- चहेतो को रेवड़ियों की तरह बांट दिये कालेज की प्रबंध सदस्य के पद
गोंडा । नियम व कानून को ताक पर रखते हुए मनमानी की पराकाष्ठा का प्रदर्शन कर डीएम ने मुगलिया सल्तनत की नजीर को भी मात दे दिया। जहां शहर के नामचीन कालेज के पदेन अध्यक्ष की हैसियत से संविधान की धज्जियां उड़ा डाली। तीन प्रबंध सदस्यों को बिना कारण बताये बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। वहीं सपा का सूपड़ा साफ होते ही सपा समर्थित सदस्य को विद्यालय की कैबिनेट से बाहर निकाल दिया तथा जिले के प्रतिष्ठित एक पत्रकार को भी बाहर का रास्ता दिखाया गया।
  मामला नगर के लाल बहादुर शास्त्री पीजी कालेज का है। कालेज के पदेन अध्यक्ष जिले के मुखिया आशुतोष निरंजन है। सूत्रो के मुताबिक कालेज के संविधान में पदेन अध्यक्ष को पांच सदस्य नामित करने का अधिकार प्राप्त है वहीं नामित सदस्यों का कार्यकाल पांच वर्ष कर दिया गया है। मगर इन सदस्यों को पांच वर्ष से पूर्व तभी निष्कासित किया जा सकता है जब मनोनीत सदस्य पागल व दिवालिया हो गया हो अथवा देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाया गया हो। यंहा यह भी उल्लेख करना जरूरी होगा कि गत वर्ष 2016 में मनोनीत सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष से बढ़ाकर पांच साल किया गया था। जबकि वर्ष 2016 में भाजपा नेता सत्यदेव सिंह, पूर्व विधायक कुं0 अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भइया, पूर्व एमएलसी रघुराज प्रसाद उपाध्याय, पत्रकार पी पी यादव, तथा सपा नेता अफसर हुसैन, को पदेन सदस्य नामित थे। इस तरह नामित सभी पांचो का कार्यकाल वर्ष 2021 तक था।
  जिलाधिकारी ने रातो रात सपा नेता अफसर हुसैन, पत्रकार पीपी यादव, तथा पूर्व एमएलसी रघुराज प्रसाद उपाध्याय को बिना कोई कारण बताओ नोटिस के लाल बहादुर शास्त्री कालेज के पदेन सदस्य के पद से हटाते हुए उन पदो पर मनमानी तरीके से नियुक्ति कर डाली। बताया जाता है कि इन पदो पर मनमानी ढंग से कुछ अपने चहेतो को नामित कर दिया। हटाये गये पदेन सदस्य पूर्व एमएलसी रघुराज प्रसाद उपाध्याय का कहना था कि यह कारस्तानी मुगलिया डिक्टेटरो के कार्यशैली को मात देने वाली है। उन्होने कहा  िकवे इस अन्याय को कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे । यदि पदेन अध्यक्ष इस फैसले को वापस नहीं लेते हैं तो वे न्यायालय की शरण लेंगे। वहीं सपा नेता अफसर हुसैन उर्फ घसीटू भाई ने कहा कि जिलाधिकारी द्वारा लिया गया निर्णय कालेज संविधान के विपरीत हैं। उन्होने साफ शब्दो में कहा कि यह निर्णय लेकर उनके सम्मान को प्रशासन ने ललकारा है जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। यही नही लोगो का तो यंहा तक कहना था कि यह विद्यालय लाल बहादुर शास्त्री के नाम पर चलाया जा रहा है मगर इस विद्याालय में पदेन सदस्य शास्त्री जी के सजातीय रख लेते तो भी ठीक था यदि पत्रकार को बाहर निकाल कर किसी पत्रकार को रखना था तो शास्त्री के विरादरी के किसी वरिश्ठ पत्रकार को रखना चाहिये था। यदि पत्रकार संगठन को तरजीह देना था देश के सबसे बड़े संगठन के प्रदेश पदाधिकारी को भी तरजीह नहीं दी गई। उधर इसकी भनक लगते ही आम जनो में यह चर्चा भी गंूजने लगी कि बांटे गये पद जंहा भाजपा के एक पदाधिकारी को पदेन सदस्य का पद देकर बैलेंस बनाने की जुगत की गई वहीं एक पद पत्नी के सहेली को खुश करने तथा दूसरा पद मीडिया मैनेज के लिये सजातीय अथवा कुछ राज छिपाने के एवज में रेवड़ियो की तरह बांट दिये गये । वहीं जब इस बावत पदेन अध्यक्ष आशुतोष निरंजन जिलाधिकारी के सीयूजी नं0 पर संपर्क करने का प्रयास किया गया तो हर बार की तरह सीयूजी उठाने वाले ने पता पूछने से लेकर फोन करने का मकशद पूछने के बाद यह कहकर फोन काट दिया कि साहब अभी बिजी है।

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