गोण्डा पुरे तिवारी में आज इस्लामी हिन्द प्रदेश के सचिव मोहम्मद इक़बाल मुल्ला ने तीन तलाक पर एक प्रेस कांफ्रेस किया
आरएसएस के एजेंडे पर काम कर रही मोदी सरकार
मुस्लिम पर्सनल लॉ को ख़त्म करने की साजिश बर्दाश्त नहीं
गोण्डा। हिन्दुस्तान की हुकूमत तीन तलाक पर प्रोपेगंडा कर रही है, जबकि मुसलमानों में तलाक को लेकर ऐसी कोई बात नहीं है। हकीकत यह है कि मोदी सरकार आरएसएस के एजेंडे पर काम करते हुए मुस्लिम पर्सनल लॉ को ख़त्म करना चाहती है। यह नाक़ाबिले बर्दाश्त है। इसके लिए मुल्क़ का मुसलमान कोई भी कुरबानी देने को तैयार है। यह बात शुक्रवार को जमात – ए – इस्लामी हिन्द के प्रदेश सचिव मोहम्मद इक़बाल मुल्ला ने पत्रकारों से कही।
जिला मुख्यालय से करीब 10 किमी दूर खोरहंसा कस्बे के पास स्थित पूरे तिवारी में मुज़ीब अहमद के आवास पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस को सम्बोधित करते हुए इक़बाल मुल्ला ने कहा कि इस वक्त मुल्क के मुसलमान बेहद ख़तरनाक और ख़ौफ़नाक दौर से गुजर रहे हैं। इतिहास गवाह है कि देश की आज़ादी में क़ौम के सूरमाओं ने हंसते हंसते अपनी जान को न्यौछावर कर दिया। लेकिन इसके बदले हमें क्या मिला? आज़ादी से अब तक मुल्क़ में 30 हजार से ज्यादा दंगे हो चुके हैं। हमें शक़ और ग़ैरत की नज़र से देखा जाता है। हमारी कुर्बानियों को भुलाकर हम पर झूठे और बेबुनियाद इल्ज़ामात लगाए जाते हैं। देश की आज़ादी के बाद मुसलमानों ने भी चैन से भाईचारा के साथ रहने के ख़्वाब देखे थे, लेकिन आज हम चैन की सांस नहीं ले सकते। यह बेहद अफसोसनाक है। उन्होंने कहा कि चाहे पूर्ववर्ती सरकारें रही हों या मौजूदा हुकूमत, किसी ने भी मुसलमानों की शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया। हालात इतने बदतर हैं कि गरीब मुसलमानों के बच्चे होटलों, ईंट भट्ठों व दीगर जगहों पर मजदूरी करने को मजबूर हैं। इनकी तरक्की और खुशहाली की बातें क्यों नहीं की जाती हैं ? जबकि दूसरी क़ौमों की बेहतरी के लिए तमाम योजनाएं चलायी जा रही हैं। इसे भेदभाव नहीं तो और क्या कहा जाए ?
तीन तलाक पर किए गए सवाल का जवाब देते हुए जमात – ए – इस्लामी हिंद के सचिव मोहम्मद इक़बाल मुल्ला ने कहाकि यह मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का मामला है, इसलिए इसमें किसी को भी दखल देने की जरूरत नहीं है, लेकिन बीजेपी और आरएसएस के लोग प्रोपोगंडा कर रहे हैं। हुकूमत को दस्तूर के दायरे में रहना चाहिए, क्योंकि उसकी भी सीमाएं तय की गयी हैं और हिन्दुस्तान में सभी संविधान की डोर से बंधे हुए हैं। लेकिन मुल्क़ की मोदी सरकार आरएसएस के एजेंडे पर काम करते हुए तीन तलाक की आड़ में मुस्लिम पर्सनल लॉ को ही ख़त्म कर देना चाहती है। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माता बाबा साहब डाक्टर भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि कोई भी हुकूमत मज़हबी मामलों में दखल देकर कानून नहीं बना सकती। लेकिन मोदी जी तानाशाह बनना चाहते हैं, जो फिलहाल हिन्दुस्तान जैसे मुल्क़ में मुश्किल ही नहीं, बल्कि नामुमकिन भी है। उन्होंने कहा कि कानून बदलने के बजाय लोगों की सोच और उनकी मानसिकता को बदलनी चाहिए।इससे बेहतर सुधार की उम्मीद की जा सकती है। इक़बाल मुल्ला ने कहा कितीन तलाक को लेकर केन्द्र सरकार ऐसा हव्वा खड़ा कर रही है, जैसे यह दुनिया का सबसे बड़ा मसला हो और इसके हल होते ही दुनिया की सभी महिलाओं की समस्याएं सुलझ जाएंगी।
एक सवाल पर उन्होंने बताया कि तलाक़ असल में एक ऑपरेशन है, जिसकी जरूरत उस वक़्त पड़ती है, जब इलाज की अन्य तमाम कोशिशें नाकाम हो जाएं। पति – पत्नी के सम्बंधों में दरार आ जाए और उनको ठीक करने के लिए कोई उपाय कारगर न हो। ऐसे में शादीशुदा जिंदगी की दरार को दूर करने के लिए मजबूरन तलाक़ का सहारा लेने की शरीअत ने इजाज़त दी है। तलाक़ का गलत इस्तेमाल होने लगे तो उस पर पाबंदी लगाने की मांग करना सही नहीं है, बल्कि इसके बजाय इसकी जरूरत को तसलीम करते हुए इसके सही इस्तेमाल को समझाना चाहिए। जब निबाह की कोई सूरत न बची हो और बीवी से शौहर की नफ़रत हद से ज्यादा बढ़ गयी हो, ऐसे में शरीअत तलाक की इजाज़त देता है।
इक़बाल मुल्ला ने कहा कि तीन तलाक़ के बहाने केन्द्र सरकार कामन सिविल कोड लाना चाहती है। यह सिर्फ मुसलमानों के लिए ही नहीं, बल्कि सिख, जैन, इसाई आदि के लिए भी परेशानी का सबब होगा। इसलिए सभी को इसकी पुरज़ोर मुख़ालफ़त करनी चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि आखिर कामन सिविल कोड लागू करके हुकूमत कौन सा कोड (यूनीफॉर्म) निर्धारित करेगी ?
इस मौके पर मौलाना रईस अहमद फलाही आर्गनाइजर बस्ती मंडल, इक़बाल वकील, अली अहमद एडवोकेट, मुजीब अहमद, क़ाज़ी रफ़त, क़ाज़ी कम्मू, सोनू प्रधान मौजूद रहे।
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