वज़ीरगंज के जलालपुर में धरती फटने से सहमे लोग, उखड़ी साँसें
खौफनाक मंज़र से मडराने लगा मौत का भय
गोण्डा। स्थानीय विकास खण्ड के ग्राम चढ़ौवा के मजरे जलालपुर में अचानक धरती फटने से लोग सहम गए। दिल दहला देने वाले इस मंजर को देखकर ग्रामवासियों की साँसें उखड़ने लगी हैं, जहाँ हर चेहरे पर खौफ की लकीरें साफ दिखाई दे रही हैं।
जलालपुर के गरीब मुफ़लिस लल्लन सिंह को क्या पता था कि 22 मई को होने वाले बिटिया की तिलक के पहले वहां घर के सामने की धरती फट जायेगी और उसमें सारी खुशियां समा जाएंगी। 27 अप्रैल की सुबह 9 बजे की घटना है, जब लल्लन सिंह के चाचा दो व्यक्तियों के साथ बाइक से सहन दरवाज़े के सामने से गुजर रहे थे कि अचानक बाइक का अगला पहिया अचानक धरती फटने से एक गड्ढे में जा घुसा, जिसे देख वो हक्का बक्का रह गया। किसी तरह चक्का निकाला गया। तत्पश्चात जब लोगों ने उस गड्ढे को मिट्टी से भरना चाहा तो यह देख हैरान रह गए कि सारी मिट्टी विलुप्त हो जाने के बावजूद गड्ढा नहीं भरा। तब जाकर लोगों ने लगभग 15 फिट का बांस लाकर उसके गहराई को देखना चाहा तो वहां तक भी ये बांस न पहुंचा। ऐसे में लोगों के हाथ पाँव फूलने लगे और सहमे दिलों से सभी अपने अपने घर चले गए, मगर 28 अप्रैल की सुबह जब लोगों ने उस गड्ढे को देखा तो सबके होश उड़ गए। देखने को मिला कि वह गड्ढा ऊपर से 4 फिट में खुला था जबकि अंदर से उसका घेरा लगभग 150 फिट की चौड़ाई में था, जो नापना असंभव था, जबकि गड्ढे की गहराई संभवतः 20 फिट या उससे कहीं ज़्यादा भी हो सकती है, क्योंकि अंदर अँधेरा दिखाई देता है। अफ़सोस का विषय तो यह है कि लल्लन सिंह ने 22 मई को बेटी का तिलक व 5 जून को शादी ठान रखी है। वह कुछ समझ नहीं पा रहा है कि क्या करे ? ऐसे में वह बस आँखों में अश्कों का समन्दर लेकर सिसकियां भर रहा है।
बढ़ता जा रहा है मौत के होल का पोल
बताते चलें कि पीड़ित के घर से महज़ 100 फिट की दूरी पर कपटी बोरिंग है, जहाँ से वह खेतों की सिंचाई करता है। अनुमान लगाया जाता है कि अधिक बालू निकल जाने की वजह से ये भू – स्खलन हो रहा है, मगर धरती के होल के नीचे इतना भयानक मौत रूपी पोल देख पीड़ित के परिजनों में एक तरफ जहाँ दर्द का सैलाब उमड़ा हुआ है वहीं, पोल की चपेट में पूरा मकान आ जाने से पीड़ित परिजनों में दहशत व्याप्त है।
मूक दर्शक बने अधिकारी
चर्चा के अनुसार पीड़ित परिवारों ने उक्त प्रकरण को सर्व प्रथम डायल 100 को अवगत कराया, तत्पश्चात वहां हलका लेखपाल केसरी प्रसाद वर्मा पहुंचे, जो कुछ ही पलों में चलता बने। दूसरी ओर सेक्रेटरी श्याम मोहन श्रीवास्तव को शायद वहां पहुंचना नागवार लगा। वह 28 अप्रैल को भी 4 बजे तक नहीं पहुंचे।
Comments
Post a Comment