शहीद आयुष यादव का शव पहुंचा कानपुर, एक झलक के लिए उमड़े लोग

कानपुर. कश्मीर में आतंकियों के साथ लोहा लेते समय शहीद हुए कैप्टन आयुष यादव का शव शुक्रवार शाम कानपुर पहुंचा तो पूरे शहर गम में डूब गया। अपने इस लाल की अंतिम झलक पाने के लिए कनपुरिया उमड़ पड़े। हजारों की संख्या में लोग जाजमऊ डिफेंस कॉलोनी में सुबह से मौजूद थे। कैप्टन आयुष का शव सेवन हॉस्पिटल के मॉच्र्यूरी में रखा गया है। यहां पर चारों तरफ सिर्फ लोग ही लोग नजर आ रहे थे। यहां लोगों ने पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे भी लगाए। हजारों आंखों में पाकिस्तान के खिलाफ नफरत की आग नजर आ रही थी। कुछ नरेंद्र मोदी सरकार के काम-काज पर सवाल उठा रहे थे। शहीद के बचपन के दोस्त अमित ने कहा, घर के नक्सली और आंतकी सेना के जवानों को शहीद कर रहे हैं, वहीं राजनेता जुमले और निंदा कर पल्ला झाड़कर आराम करते हैं। पठानकोट (पंजाब), उरी, सुकमा (छतीसगढ़) और कुपवाड़ा के बाद भी क्या एक और ऐसी घटना का इंतजार कर रहे हमारे प्रधानमंत्री। देश की सवा करोड़ जनता के कंधे अब झुकने लगे हैं। जनता चाह रही है कि सर्जिकल स्ट्राइक-2 के लिए सेना को कूच करने का आदेश केंद्र सरकार दे।
कल सिद्धनाथ घाट पर दी जाएगी मुखाग्नि

कश्मीर के कुपवाड़ा में आंतकी हमले के दौरान शहीद हुए कैप्टन आयुष यादव का शव शुक्रवार शाम कानपुर लाया गया। शहीद कैप्टन का शव 4:40 बजे चकेरी एयर फोर्स स्टेशन पहुंचा था। आर्मी की गाड़ी के पीछे-पीछे वाहनों का ऐसा हुजूम उमड़ा कि मानो जैसे पूरा जग पीछ-पीछे चल पड़ा हो। हर किसी की आंखों में दर्द और जुबां पर एक ही नारा था 'आयुष यादव अमर रहे, आयुष यादव अमर रहेÓ। शव को शनिवार सुबह घर ले जाया जाएगा। आर्मी की गाडिय़ों से शहीद आयुष का शव घर जाएगा, फिर घर पर अंतिम दर्शन के बाद दोपहर 3.15 बजे पर सिद्धनाथ घाट के शहीद का शव ले जाया जाएगा। 3.30 बजे घाट पर गार्ड ऑफ ऑनर के साथ शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। शाम चार बजे उन्हें पंचतत्व में विलीन कर दिया जाएगा।
पीएम से थी उम्मीद पर निकले...

कैप्टन आयुष को श्रद्धा सुमन अर्पित करने पहुंचे रविकांत तिवारी ने कहा कि पिछले तीन वर्षोंं से हादसे ही हादसे हो रहे हैं। इस पर सिर्फ सरकार की विफलता नजर आ रही है। नरेंद्र मोदी को जिस उम्मीद पर चुना गया है, उस पर उन्हें खरा उतरना चाहिए। सरकार को अपना नम्र स्वभाव छोड़ कर अब सेना को हाथ खोलने का मौका देना चाहिए। सरकार अपनी सेना को पत्थर खाने पर मजबूर न करे, बल्कि जो कोई सेना के साथ ऐसा करे, उन्हें देखते ही गोली मारने के आदेश दे। वहीं सरदार हरविंदर सिंह ने कहा कि जनता ने मोदी के 56 इंच के सीने को देखकर पीएम बनाया, लेकिन उन्होंने सेना के जवानों को गोलीबाज और पत्थरबाजों के सामने हाथ बांध कर खड़ा कर दिया है।
सेना के रिटायर्ड मेजर रघुबीर सिंह ने सेना पर हमलों को लेकर कहा कि ये डबल स्टैंडर्ड के परिणाम हैं। इन्होंने कहा कि सरकार एक तरफ बातचीत कर पाकिस्तान से रिश्ते कायम करने की बात कहती है, दूसरी तरफ हम चाहते हैं कि देश में शांति कायम रहे, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाया। हमेशा एक ही नीति पर चलने पर आदमी को सफलता प्राप्त होती है। उन्होंने कहा इजरायल एक छोटा सा देश है, लेकिन उसने अपने दुश्मनों से घिरे होने के बावजूद भी किसी को एक तिनका तक अपने यहां फेंकने तक की अनुमति नहीं दी और उसने अपने सारे नागरिकों को सैनिक बनाया है। जब-जब उन्हें जरूरत होती है तो सारा देश एकजुट होकर मुसीबत का सामना करता है। भारत में भी ऐसी ही स्थिति बने, तब भी हम कश्मीर को आतंकवाद से आजाद करा पाएंगे।

पामठ मंदिर के मंहत ने कहा कि यहीं वो दिन है, यही वो समय है और यही वो अवसर है, जब सेनाओं को मुंहतोड़ जवाब देने की इजाजत दी जानी चाहिए। तोपों के मुंह खोल दिए जाने चाहिए। पत्थर फेंकने वाले व्यक्ति ही नहीं, कश्मीर और देश की तरफ आंख उठाने वाले व्यक्ति की हमें आंख निकाल लेनी चाहिए। जब हम इस नीति पर चलेंगे, तब हमारा देश सुरक्षित होगा। अन्यथा हमारे देश की माताओं की कोख इसी प्रकार से सूनी होती रहेगी। यहां पहुंचे लोगों ने शहीद कैप्टन आयुष यादव की तस्वीर के सामने श्रद्धासुमन अर्पित कर एक आवाज में कहा 'वी वांट सर्जिकल स्ट्राइक

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