सालू खान
किसानों की कर्जमाफी निकली हवाहवाई, योगी सरकार के पास नहीं है बजट, RBI ने कर्ज देने से किया मना
लखनऊ, यूपी में विधानसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी द्वारा किसानों को लुभाने के लिए कर्जमाफी का वादा किया था। तब पीएम मोदी ने कहा था कि उत्तर प्रदेश मवीं उनकी पार्टी की सरकार बनवा दो सरकार बनने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में लघु एवं सीमांत किसानों का कर्जा माफ कर दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश में किसानों ने पीएम मोदी की बात को मान लिया और पूर्ण बहुमत की सरकार बनाके दे दी। सरकार बनने के बाद पहली कैबिनेट बैठक लगभग 1 महीने बाद हुई। जिसमें कर्जमाफी का झुनझुना किसानों को दिया गया। जिसमें कहा गया कि 1 लाख से कम के लोन राज्य सरकार माफ करेगी। 1 लाख तक का कर्ज जो बैंकों द्वारा लिया गया हो और सिर्फ खेती के लिए लिया गया माफ होगा। टैक्टर बैल या बच्चों की पढ़ाई के लिए लिया गया कर्ज माफ नहीं होगा।
आनन फानन में योगी सरकार द्वारा कैबिनेट बैठक में आधी अधूरी कर्जमाफी का नियम लागू किया गया जिसके लिए बजट भी निर्धारित नहीं किया गया। कर्जमाफी की घोषणा के बाद से किसान बैंकों के चक्कर काट काटकर परेशान हो रहा है। बैंकों से किसानों को यह कहकर भगा दिया जाता है कि ऐसा कोई आदेश सरकार द्वारा अभीतक नहीं आया है। जबकि योगी सरकार को 50 दिन से ज्यादा हो चुके हैं।
किसानों की माफी को लेकर खबर आ रही है कि उत्तर प्रदेश में किसानों की कर्जमाफी आरबीआई के नियमों और योगी सरकार के वायदे के बीच फंस गई है। आरबीआई का कहना है कि राज्य सरकार तय सीमा से ज्यादा कर्ज नहीं ले सकती। तो वहीं राज्य सरकार को किसानों से किया वादा निभाना है।
अब पचास दिन बाद योगी सरकार कर्जमाफी पर धर्मसंकट में फंसी है, क्योंकि आरबीआई केंद्र सरकार की कर्ज के मुद्दे पर नहीं सुन रहा है। वजह है वो कानून जो तय करता है कि राज्य और केन्द्र सरकार अपनी गारंटी पर कितना कर्ज ले सकती हैं। योगी सरकार ने बैंकों के लिए बॉन्ड जारी कर कर्ज माफी का तरीका निकाला था, लेकिन रिजर्व बैंक ने इसकी इजाजत नहीं दी। बिना किसी प्लानिंग के किये गए कर्जमाफी का फैसला किसानों के लिए सिरदर्द बन गया है।
बैंकों के लिए सरकारी बॉन्ड एक तरह की बैंक गारंटी होती है कि बैंक किसानों से कर्ज का पैसा न लें यूपी सरकार बैंक को पैसे चुकाएगी और ऐसे किसानों का कर्ज माफ होता है। लेकिन आरबीआई का कहना है कि अगर यूपी सरकार को बॉंड के बदले ज्यादा कर्ज दिया तो देश के सारे प्रदेश कर्जे की लाइन में लग जाएंगे और इससे देश का आर्थिक बजट बिगड़ जाएगा।
इस फॉर्मूले के फेल होने पर नीति आयोग के साथ बैठक करके योगी सरकार ने सरकारी खर्चों में कटौती करने का मन बनाया है, लेकिन 36 हजार करोड़ का इंतजाम कैसे हो ये बड़ी चुनौती है। चर्चा है कि योगी सरकार किसानों के कर्ज माफ करने के बदले पैसे बचाने और पैसे जुटाने का फॉर्मूला तैयार कर रही है।
खर्च में कटौती कर 12 से 15 करोड़ जुटाने की योजना है, इसके अलावा पेट्रोल-डीजल पर अतिरिक्त सेस लगाकर साढ़े सात हजार करोड़ रुपये के इंतजाम पर विचार हो रहा है। जिसके चलते पेट्रोल और डीजल के दामों में और वृद्धि हो सकती है। तेल पर टैक्स बढ़ाने के अलावा यूपी भी मध्य प्रदेश और दूसरे राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश डेवलपमेंट कॉरपोरेशन बनाने की तैयारी है जो हाईवे पर टैक्स वसूलेगी।
बड़ी तस्वीर ये है कि योगी सरकार ने मुख्य सचिव की अगुवाई में आठ सीनियर आईएएस अधिकारियों की एक कमेटी बनायी है, जो छत्तीस हज़ार करोड़ रुपयों के जुगाड़ के लिए फार्मूला बना रही है जो फिलहाल दूर की कौड़ी लग रही है।
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