वज़ीरगंज – गोण्डा। न्यायालय का निर्देश जहाँ देश के नागरिकों के लिए सर्वोपरि है, वहीं वज़ीरगंज क्षेत्र के ग्राम बंधवा का एक बेलगाम लेखपाल अदालत के आदेश को भी अपनी जागीर समझ कर खुलेआम उससे खिलवाड़ करते हुए न्यायालय में चल रहे विवादित मामले की भूमि पर चंद लाभ की खातिर पीड़ित को दरकिनार कर उन दबंगों का कब्ज़ा करवा दिया जो खुद मामले के हर पेशी में पेश होते हैं।
दबंग लेखपाल की बेलगामी के चलते कोर्ट के आदेशों के बावजूद ग्राम शेरापुर के जमीनी प्रकरण की गुत्थी सुलझने का नाम नहीं ले रही है। पीड़ित आज भी न्याय की तलाश में थाने से लेकर उच्चधिकारियों की चौखट पर माथा टेक रहा है, मगर उच्चधिकारियों के सख्त निर्देशों के बावजूद बेखौफ़ लेखपाल टस से मस न होकर उल्टा उन्हें ही गुमराह कर रहा है जबकि प्रशासन मौन है।
बुजुर्ग पीड़ित नंगा यादव ( 78 वर्ष) का आरोप है किया जमीन की मालियत कम होने के कारण सन 1997 में डिप्टी डायरेक्टर चकबंदी अधिकारी ने उन्हें अतरिक्त जमीन प्रदान की थी जिसे वह 20 वर्षों से जोत – बो रहे हैं। इसी बीच स्वर्गीय राम सूरत की निगाह उस पर जा टिकी और उक्त जमीन को हथियाने के लिए तत्कालीन एस.डी.एम की आँखों में धूल झोंककर उसे पट्टा करवा लिया जो सच्चाई सामने आने पर खारिज़ हो गया। बावजूद इसके जमीन पाने की ललक कम न हुई और विपक्षी रामसूरत ने हाई कोर्ट जाकर जमीन का मामला फ़ाइल कर दिया तभी से यह प्रकरण अदालत के फ़ाइल में कैद होकर वकीलों के बहस का विषय बन गया और यथा स्थित बरकरार होकर अदालत में यह प्रकरण विचाराधीन है। और तो और इतना कुछ होने के बावजूद विपक्षीगणों ने तत्कालीन एस.ओ. रामपाल सिंह यादव को भी गुमराह करने की कोशिश की मगर थानेदार ने भृकुटी चढ़ाते हुए विपक्षियों को सख्त हिदायत दिया कि इस जमीन पर कोर्ट का आगामी निर्देश आने तक यथास्थिति बरकरार रहेगी जिसका उन्होंने सुलहनामा भी लिखवाया था। मगर थानेदार के जाते ही इनके मंसूबों की उड़ान को पर लग गया और जमीन हथियाने का भरपूर प्रयास करते रहे। बताते चलें कि रामसूरत के बाद अब ये मामला उनके पुत्रगण राम बरन, शिव बरन व राम सजीवन आदि देख रहे हैं। अवगत हो कि निज़ाम बदलते ही तेज़ तर्रार मुख्यमंत्री के सख्त निर्देशों को ताक पर रख कर इन लोगों ने प्रकरण की कुंडली ही बदल दी। पीड़ित पुत्र जगलाल का कहना है कि गाटा संख्या 266, 575, व 450 जिस पर वह 20 वर्षों से काबिजदार है उसे विपक्षियों ने हल्का दरोगा प्रमोद कुमार अग्निहोत्री व कानून से खिलवाड़ करने वाले लेखपाल बंसीलाल शर्मा से मिलकर उन्हीं के सामने ही जबरन ट्रैक्टर से जोतवा दिया, जिसमें गन्ने की फसल बर्बाद हो गयी। पीड़ित का कहना है कि उसने कोर्ट का कागज़ भी दिखाया मगर बेलगाम लेखपाल कुछ न माना। हद तो तब हो गयी जब पीड़ित जगलाल ने बताया कि हल्का दरोगा व लेखपाल के सामने ही उसके बुजुर्ग बाप को गालियों से नवाज़ा गया और तीन हज़ार रुपये लेकर सुलहनामा पर हस्ताक्षर करने को कहा गया जिसे इन्कार करने पर उसके बाप के सामने ही उसके भाई को मारा पीटा गया जिसे देख बाप का कलेजा बाहर आ गया और न चाहते हुए भी उसने सुलहनामा के कागज़ पर हस्ताक्षर कर दिया। निजी लाभ के लिए कोर्ट के निर्देशों को ताक पर रख कर भले ही लेखपाल ने उक्त विवादित जमीन पर दबंगों का कब्ज़ा करवा दिया है, मगर उसे शायद यह नहीं मालूम है कि कानून की दीवार बहुत लंबी होती है जिसे पार करके निकल जाना इतना आसान नही है। फिलहाल डी.एम ने प्रकरण को गंभीरता से लेकर एस.डी.एम. को जांच सौंपा है जहाँ से प्रकरण पर कोर्ट के निर्देशों के तहत कार्यवाही कर आख्या देने का निर्देश पारित हुआ है। बहरहाल पीड़ित को डी.एम पर अब भी भरोसा है, अन्यथा न्याय न मिलने पर उसने मुख्यमंत्री के दरबार में भी शपहुँचने के लिए कमर कस रहा है।
पीड़ित को बेचैन कर चैन की बंशी बजा रहा है बंशी लाल
कोर्ट के निर्देशों को ताक पर रखकर गन्ने की फसल को जोतवा कर लेखपाल बंशी लाल शर्मा जहाँ अधिकारियों को गुमराह करने के बाद चैन की बंशी बजा रहा है वहीं बुजुर्ग पीड़ित उक्त सदमे से बीमार पड़ चुका है जो खाट पर लेटे अपनी दुश्वारियों पर आंसू बहा रहा है।बताते हैं कि उक्त लेखपाल तरबगंज लेखपाल संघ का अध्यक्ष है। यही कारण है कि वह ईमानदारी से नौकरी कम, नेतागीरी ज्यादा करता है।
क्या कहते हैं एस.ओ. व हल्का दरोगा
एस.ओ. का कहना है कि मुझे कोर्ट के कागज़ात के बारे में नहीं पता था। मुझसे लेखपाल द्वारा पुलिस बल माँगा गया था मगर जब अदालत की बात सामने आयी तो मैंने लेखपाल को दोबारा प्रकरण देखने को कहा मगर उसने गंभीरता से न लेकर यह कहा कि उसके नाम खतौनी है। वहीं हल्का दरोगा ने पीड़ित द्वारा लगाये गमारने पीटने के आरोपों को निराधार बताया है। उनका कहना है कि कोर्ट का कागज़ हमें पहले नही दिखाया गया था, वहां की जिम्मेदारी लेखपाल की थी।
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