अखिलेश की एक और योजना पर चला योगी का हंटर रदद् होगा अल्पसंख्यक कोटा

सालू खान

अखिलेश की एक और योजना पर चला योगी का हंटर, रद्द होगा अल्पसंख्यक कोटा





लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्ववर्ती सरकार का एक और फैसला रद्द करने योजना बनाई है। यूपी सरकार ने अल्पसंख्यकों का कोटा रद्द करने की योजना बनाई है। समाजवादी सरकार में 85 योजनाओं पर 20 फ़ीसदी कोटा देने का प्रावधान था जिस हटाने के लिए योगी सरकार तैयारी कर रही है।
समाजवादी सरकार में चली योजनाओं पर योगी सरकार की आंखें टिक सी गई हैं। एक के बाद एक योजनाओं पर वर्तमान सरकार कैंची चला रही है। माना जा रहा हैं कि अल्पसंख्यक कोटा खत्म करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट जल्द ही प्रस्ताव ला सकती है। मौजूदा समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री ने इस कोटे को खत्म करने की सहमति दे दी है। उन्होंने कहा, योजनाओं में कोटा देना उचित नहीं है। हम इसे समाप्त करने के पक्षधर हैं। योजनाओं से बिना भेदभाव के सभी का विकास होना चाहिए। इस प्रस्ताव को कैबिनेट के सामने ले जाया जाएगा, जहां इसे स्वीकृति मिलने के पूरे आसार हैं। दरअसल, नई सरकार के गठन के साथ ही अल्पसंख्यकों को दिए जा रहे इस कोटे को खत्म किए जाने की बात शुरू हो गई थी। इसके संकेत लक्ष्मी नारायण चौधरी ने दिए थे। 
85 योजनाओं पर दिया जा रह था कोटा
2012 में जब अखिलेश यादव जीत कर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे तब इस योजना की शुरुआत की गई थी। इसके अंतर्गत 85 योजनाओं पर समाजवादी सरकार अल्पसंख्यकों के लिए 20 फीसदी कोटा निर्धारित किया गया था। इनमें कृषि, गन्ना विकास, लघु सिंचाई, उद्यान, पशुपालन, कषि विपणन, ग्रामीण विकास, पंचायती राज, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, लोक निर्माण, सिंचाई, ऊर्जा, लघु उद्योग, खादी ग्रामोद्योग, रेशम विकास, पर्यटन, बेसिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, युवा कल्याण, नगर विकास, नगरीय रोजगार एवं गरीबी उन्मूलन, पिछड़ा वर्ग कल्याण, व्यावसायिक शिक्षा, समाज कल्याण, विकलांग कल्याण, महिला कल्याण, दुग्ध विकास, समग्र ग्राम विकास में कोटा का लाभ अल्पसंख्यकों को मिल रहा था।

कुल 85 योजनाओं में अल्पसंख्यकों को 20 प्रतिशत कोटे का लाभ दिया जा रहा है। इनमें सबसे ज्यादा समाज कल्याण और ग्राम विकास विभाग की हैं। अब तक तमाम शासनादेशों में लिखा जाता था कि योजना में कम-से-कम 20 प्रतिशत अल्पसंख्यकों को कवर किया जाए। साथ ही जिन क्षेत्रों में कम-से-कम 25 प्रतिशत आबादी अल्पसंख्यकों की होती थी, वहां योजनाओं को सख्ती से लागू किए जाने के निर्देश होते थे। पहला शासनादेश मुख्य सचिव जावेद उस्मानी की तरफ से जारी हुआ था। इसके बाद समय-समय पर इसे सख्ती से लागू करने के निर्देश जारी किए जाते रहे हैं। सभी जिला अधिकारियों के अधीन एक कमिटी बनाई गई थी, जो इसकी निगरानी करती थी।
क्या है अल्पसंख्यक कोटा 
2012 में जब उत्तर प्रदेश में समाजवादी सरकार आई थी तब अल्पसंख्यक कोटे की शुरुआत हुई थी। प्रदेश में समावजदी सरकार बनने के बाद पहले ही साल में कैबिनेट ने 20 प्रतिशत कोटे को मंजूरी दी थी। इसके लिए विशेष गाइडलाइन भी जारी की गई थी। अखिलेश सरकार ने यह फैसला नैशनल सैंपल सर्वे की रिपोर्टों के बाद लिया था। सर्वे की रिपोर्टों में धार्मिक समूहों में रोजगार और बेरोजगारी की स्थिति को आधार बनाया गया था। रिपोर्टों में कहा गया था कि मुसलमानों का औसत प्रति व्यक्ति खर्च रोजाना सिर्फ 32.66 रुपये है। ग्रामीण क्षेत्रों में मुसलमान परिवारों का औसत मासिक खर्च 833 रुपये, जबकि हिंदुओं का 888, ईसाइयों का 1296 और सिखों का 1498 रुपये बताया गया था। शहरी इलाकों में मुसलमानों का प्रति परिवार खर्च 1272 रुपये था जबकि हिंदुओं का 1797, ईसाइयों का 2053 और सिखों का 2180 रुपये था।

इन योजना पर भी चला योगी का हंटर 
- योगी सरकार ने अखिलेश यादव के फोटो वाले राशन कार्ड बंद कर दिया है। 
- समाजवादी पेंशन योजना पर रोक के साथ पोषण मिशन कमेटी भी रद्द कर दी गई है। 
- जिन योजनाओं पर समाजवादी शब्द था, उसे भी हटा दिया गया है। समाजवादी शब्द की जगह मुख्यमंत्री लिखा गया है

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