गोण्डा उत्तर प्रदेश अधिकारियो के साठ गाठ से बगेर लासेन्स अवैध रूप से खुलेआम चल रही है दर्जनो भर आरा मसीने
सीएम सर ! यहां तो डीएफओ की साठगांठ से चल रहीं अवैध आरा मशीनें
वन माफियाओं को जिम्मेदार अधिकारियों का संरक्षण
बगैर लाइसेंस के खुलेआम चल रहीं दर्जनों आरा मशीनें
गोण्डा। निज़ाम बदलते ही जहां अधिकांश विभागों के भ्रष्ट अधिकारियों ने अपने काम करने का तरीका बदल लिया है, वहीं सीएम के आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए गोण्डा का वन विभाग खुलेआम अवैध आरा मशीनों को चलवा रहा है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि इस खेल में डीएफओ भी संलिप्त हैं। उनकी सहमति पर ही विभाग के जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारी वन एवं लकड़ी माफियाओं से साठगांठ कर रुपयों की चाह में सीज़ आरा मशीनों को रात के सन्नाटे में चलवाते हैं।
योगी आदित्यनाथ के सीएम पद पर आसीन होते ही उन सभी कारोबारों पर पूरी तरह नकेल कस दिया गया, जो अवैध यानी गैरकानूनी की श्रेणी में आते हैं। लखनऊ में तो बाकायदा जेसीबी मशीन लगाकर अवैध आरा मशीनों के वजूद को ही खत्म कर दिया गया। मुख्यमंत्री ने आदेश जारी करते हुए कहा कि अवैध आरा मशीनों के खिलाफ अभियान चलाकर उनके वजूद को समाप्त कर इस अवैध कारोबार के संचालकों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए। हरी झंडी मिलते ही सूबे में बड़े पैमाने पर अभियान छेड़ दिया गया और भारी संख्या में अवैध आरा मशीनों को सीज़ करते हुए संचालकों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई गई। लेकिन गोण्डा में सीएम के आदेश का मखौल उड़ाया गया। यहां कागजों में तो अवैध आरा मशीनों को सीज़ कर दिया गया, लेकिन हकीकत यह है कि डीएफओ से साठगांठ कर वन माफिया रात के सन्नाटे में बेखौफ होकर आरा मशीनों को चलाते हैं।
जिले के कोतवाली देहात क्षेत्र में आधा दर्जन अवैध आरा मशीनें डंके की चोट पर चलायी जा रही हैं। इसकी शिकायतें भी गयीं, लेकिन डीएफओ व अन्य जिम्मेदार हाकिम कानों में तेल डाले हुए कुंभकर्णी नींद सो रहे हैं। सूत्रों के अनुसार कोतवाली देहात की खोरहंसा चौकी अन्तर्गत मोहल्ला नियाज़ी खोरहंसा निवासी सहील नियाजी की अवैध आरा मशीन को सीज़ करते हुए एफआईआर दर्ज करायी गयी थी। इसी तरह कमरुद्दीन की विशनागा जमुनियाबाग खोरहंसा स्थित आरा मशीन, चिश्तीपुर खोरहंसा स्थित अकील की आरा मशीन, दर्जीकुआं स्थित मदन सिंह और पथरी कलंदरपुर में स्थित मुन्ना सिंह की अवैध आरा मशीनों को सीज़ करके मालिकों पर वन विभाग द्वारा 4/10 का मुकदमा दर्ज़ कराया गया था, जो सिर्फ सरकारी पन्नों तक ही सिमटकर रह गया। हकीकत तो यह है कि वन विभाग व कुछ भ्रष्ट जिम्मेदारों एवं सफेदपोश नेताओं की मिलीभगत से ये सीज़ आरा मशीनें को रात के अँधेरे में तब चलती हैं, जब लोग चैन की नींद सोते हैं। यहाँ यह भी बताना जरूरी है कि ये चलती मशीनें कहीं शक के दायरे में न आ जाएं, इसलिए मालिकों द्वारा बाहर से ताला लगाकर आरा मशीनों को बंद दीवारों में कैद करके चलाना शुरू कर दिया गया।
बेशकीमती लकड़ियों पर भी बरप रहा आरा मशीनों का कहर
सागौन, साखू व शीशम जैसी बेशकीमती लकड़ियों को काटने व चीरने के लिए जहां सरकार ने सख्त पाबंदी लगा रखी है, वहीं बेख़ौफ़ वन माफियों द्वारा इन लकड़ियों को रात में अवैध आरा मशीनों पर चीरा जा रहा है। इन्हें न तो योगी शासन का खौफ है और न ही प्रशासन का डर। ये आरा मशीनें तो मात्र बानगी भर हैं। जिले में दर्जनों ऐसी आरा मशीनें होंगी, जो शासन – प्रशासन की आँखों में धूल झोंककर रात के अँधेरे में पाबन्द लकड़ियों पर कहर बरपा रही हैं !
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