सुप्रीमकोर्ट के इस फैसले से सुब्रमण्यम स्वामी को लगा जोरदार झटका, राम मंदिर पर आया ये फैसला

उत्तर प्रदेश में चुनाव जीतने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने जनता से वादा किया था कि, अगर यूपी में उनकी बहुमत की सरकार आती है तो वह राम मंदिर का निर्माण जरुर करवाएंगे। इस मुद्दे को उठाने वाले सबसे ऊपर योगी आदित्यनाथ का ही नाम आता है जो अभी यूपी के मुख्यमंत्री बने हुए है। राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के मुद्दे को कई साल बीत चुके है लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं आ पाया है। जब बाबरी मस्जिद को शहीद कर दिया गया था उस समय पूरे देशभर में दंगे फैले थे और इस वजह से कई लोग मारे भी गए थे।

अब तो केंद्र और राज्य दोनों जगह भाजपा की सरकार है लेकिन राम मंदिर फिर भी भाजपा वाले नहीं बना सकते है। क्योंकि अयोध्या में राम मंदिर के मामले में सुप्रीमकोर्ट ने इस मामले पर जल्द सुनवाई करने से बिलकुल साफ़ मना कर दिया है। सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि, ‘इस मामले पर जल्द सुनवाई नहीं हो सकती है, इसके अलावा सुप्रीमकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए भी कोई तारिख नहीं तय की है।’ इस बात से यह साबित होता है कि, आने वाले समय में अभी तक इस मामले में सुनवाई के कोई चांस नहीं है।

इससे पहले भी सुप्रीमकोर्ट ने 21 मार्च को भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी और इस मामले पर याचिकाकर्ता को कोर्ट ने 31 मार्च तक यह बताने के लिए कहा था कि, ‘दोनों पक्ष आपसी सहमती से मुद्दे सुलझाने के लिए तैयार है या नहीं?’ पिछली बार भी सुनवाई ने सुप्रीमकोर्ट ने दोनों समुदाय से यह कहा था कि, ‘अगर इस मामले को बातचीत से सुलझा लिया जाये तो सबसे बेहतर तो यही होगा। इसके अलावा चीफ जस्टिस ने यह भी कहा था कि, ‘अगर दोनों समुदाय को यह लगता है कि, वह खुद मध्यस्था कराने के लिए तैयार नहीं हैं और बातचीत से भी हल नहीं निकल रहा है तो इसके बाद सुप्रीमकोर्ट सुनवाई के लिए तैयार है।’

पिछली बार जब 21 मार्च को इस बारें में सुप्रीमकोर्ट ने इस बारें में सुनवाई की थी और कोर्ट के चीफ जस्टिस ने यह कहा था कि, ‘यह मामला धर्म और आस्था से जुड़ा है और दोनों समुदाय के लिए यह बेहतर है कि, वह बातचीत से मामले का हल निकालने की कोशिश करें। भाजपा के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीमकोर्ट में यह कहा था कि, ‘राम मंदिर का मामला पिछले 6 सालों से सुप्रीमकोर्ट में पेंडिंग पड़ा है।’ लेकिन फिर से सुप्रीमकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई से जल्द इनकार करने के कारण भाजपा के नेता सुब्रमण्यम स्वामी को इससे बहुत करारा झटका लगा है।

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