स्वावलंबन की मिसाल बनी कानपुर की ‘रोशनी’

सालू खान




पिता की मौत के बाद अख़बार बांटकर कर रही पढ़ाई

कानपुर। सच ही कहा गया है कि उड़ान पंख से नहीं, बल्कि हौंसलों से होती है। इसे चरितार्थ कर दिखाया है कानपुर की बेटी रोशनी ने ! उसके सिर से अचानक बाप का साया उठ गया और घर की जिम्मेदारियों का बोझ उसके सिर पर आ गया, लेकिन उसने हिम्मत न हारकर हँसते हँसते हर ग़म का सामना करके जो मिसाल क़ायम की है वह काबिले तारीफ ही नहीं, बल्कि हिम्मत हारे लोगों के लिए एक सबक भी है।
           उसने यह तय किया कि वह खुद भी पढ़ेगी और अपने भाई को भी पढ़ाएगी। इस सोच को साकार करने के लिए उसने पिता के नक्शेकदम पर चलकर अखबार बांटने का निश्चय किया और भोर पहर में उठ कर घर घर जाकर अखबार बांटने लगी। इतना ही नहीं, वह परिवार की सारी जिम्मेदारियों की बोझ उठाने के साथ साथ खुद भी पढ़ रही है और अखबार बाँट कर भाई को भी पढ़ा रही है। उसके इस जज्बे को सलाम करते हुए कुछ लोगों ने बहादुर व हिम्मती बेटी को जहाँ कुछ धनराशि प्रदान करके उसकी मदद की है, वहीं उम्मीद ही नहीं बल्कि पूर्ण विशवास है कि समाज सेवी संस्थाएं व मीडिया संस्थान भी इस जज्बे को सलाम करके अपना आर्थिक योगदान इस बेटी को प्रदान करेंगे।

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