उत्तर प्रदेश जिला गोण्डा ? काजी देवर न्याय पंचायत क्षेत्रों के विद्यालयो में लटकता रहा ताला ध्वस्त हुई शिक्षा व्यवस्था
सालू खान
काजीदेवर न्याय पंचायत क्षेत्र के विद्यालयों में लटकता रहा ताला, ध्वस्त हुई शिक्षण व्यवस्था
बैरंग वापस हुए बच्चे, शिक्षकों ने भी ली घर की राह
गोण्डा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सपा शासनकाल में प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किए गए शिक्षा मित्रों का समायोजन निरस्त कर दिए जाने के बाद पूरे प्रदेश में शिक्षा मित्र स्कूल छोड़कर सड़क पर उतर आए हैं। जगह जगह प्रदर्शन किए जा रहे हैं। अब तक करीब दर्जनभर शिक्षा मित्र मौत को गले लगा चुके हैं। शिक्षा मित्रों के समर्थन में शुक्रवार को झंझरी के न्याय पंचायत काजीदेवर क्षेत्र के लगभग सभी प्राथमिक विद्यालय बन्द कर दिए गए। बच्चे जब पढ़ने के लिए बस्ता लेकर विद्यालय में पहुंचे तो वहां उन्हें ताला लटकता मिला। इससे वे खेलते कूदते बैरंग घर वापस हो गये। निरंकुशता की हद तो यह रही कि बच्चों के विद्यालयों में पहुंचने से पहले ही शिक्षक एवं शिक्षिकाएं ताला लगाकर घर जा चुके थे। अध्यापकों द्वारा शिक्षा मित्रों को अपना मूकसमर्थन देने से शिक्षण व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गयी है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्ववर्ती अखिलेश यादव
सरकार में सूबे के प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किया गया था। अवशेष शिक्षा मित्रों के समायोजन की प्रक्रिया चल रही थी। इस बीच मामला हाईकोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने समायोजन को निरस्त कर दिया, जिससे लाखों शिक्षा मित्र पलक झपकते ही फुटपाथ पर आ गये। शिक्षा मित्र सहायक अध्यापक पद से बेदखल किए जाने के बाद दोबारा शिक्षा मित्र के पद को न स्वीकार करते हुए स्कूलों में शिक्षण कार्य ठप्प कर धरना प्रदर्शन करने में जुट गए हैं।
दरअसल, पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार ने शिक्षकों की कमी होने के कारण स्कूलों में लाखों शिक्षा मित्रों के सहायक अध्यापक पद पर समायोजन की प्रक्रिया शुरू की थी। औपचारिकता पूरी होने के बाद शिक्षा मित्रों की तैनाती सहायक अध्यापक पद पर कर दी गयी तथा अवशेष बचे शिक्षा मित्रों को भी समायोजित करने की प्रक्रिया अमल में लायी जाने वाली थी कि मामला सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गया और अवशेष शिक्षा मित्रों के समायोजन की प्रक्रिया अधर में लटक गयी। बताया जाता है कि 3500 रूपये प्रतिमाह मानदेय पर शिक्षण कार्य की मंशा के तहत इनकी नियुक्ति पूर्ववर्ती कल्याण सिंह सरकार द्वारा किया गया था। मगर बाद में इन्हें पदोन्नति करते हुए अखिलेश यादव सरकार ने सहायक शिक्षक के पद का नजराना दे दिया और देखते ही देखते इनका मेहनताना 38 हजार रूपये के करीब पहुँच गया। इसके बाद जब काफी संख्या में विशिष्ट बीटीसी व टीईटी वाले छात्र उच्च स्तरीय शिक्षा ग्रहण करने के बावजूद घर बैठने पर विवश होने लगे तो उन्होंने शिक्षक की नियुक्ति के लिए विगत दिनों काफी आंदोलन किया। कुछ शिक्षकों की जहाँ नियुक्ति हुई वहीं काफी शिक्षक आज भी डिग्री लेकर घरों में बैठे हुए हैं, जिनके चेहरों पर अब मुस्कराहट साफ झलक रही है। जब सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया कि पूर्व में समायोजित शिक्षा मित्र जो सहायक शिक्षक के पद पर बरकरार थे, उनका निरस्तीकरण होकर पुनः शिक्षा मित्र के पद पर तैनाती की गयी है, अगर वे चाहें तो पुराने मानदेय 3500 रुपये पर कार्य कर सकते हैं। कोर्ट ने यह भी हुक्मनामा जारी किया है कि पूर्व सुनश्चित 10 हजार रूपए भी इन्हें अगर सरकार चाहे तो दे सकती है, जिसका फैसला सरकार को लेना होगा।
न्यायालय के इस आदेश के बाद समायोजित शिक्षा मित्र प्रदेशभर में आंदोलनरत हो गये। इनके समर्थन में शुक्रवार को शिक्षा क्षेत्र झंझरी की न्याय पंचायत काजीदेवर के प्राथमिक विद्यालय बिरवा बभनी, गोविन्दपारा, छाछपारा कानूनगो, छाछपारा मतवल्ली, गांधी ग्राम, काजीदेवर, डड़वा दसौतिया, नेवादा, कुन्दरखी, कस्टुवा, पूरे तिवारी, चिश्तीपुर, विशनागा आदि में अध्यापकों ने ताला लगा दिया। यह संवाददाता जब इस खबर की पुष्टि करने के लिए इन विद्यालयों का सुबह 9:30 से 10:50 बजे तक दौरा किया तो वहां ताले लटकते और बच्चे इधर उधर खेलते कूदते मिले।
पूछने पर बताया गया कि शिक्षा मित्रों के समर्थन में आज प्राथमिक विद्यालयों को बन्द कर दिया गया है। वहीं, अभिभावकों ने अध्यापकों द्वारा बच्चों को बताए बगै़र स्कूल बंद करके घर चले जाने पर नाराजगी जताई। उनका कहना था कि इससे उनके बच्चों की पढ़ाई चौपट हो रही है। यदि स्कूल बंद ही रखना है तो एडमिशन क्यों किया गया ? सवाल यह भी है कि आखिर शिक्षा मित्रों से शिक्षक एवं शिक्षिकाओं को इतनी सहानुभूति क्यों है ?
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